गन्ने की खेती: गन्ने के अच्छे जमाव के लिए पहली सिंचाई कब दें,और खरपतवार नियंत्रण के लिए कौन सी दवा सबसे अच्छी है? Sugarcane Farming,गन्ने में पहला पानी और खाद, गन्ने में पहली सिंचाई ,गन्ने में पहला खाद ,Sugarcane First Fertilizer Dose ,गन्ने में पहला पानी,गन्ने के अच्छे जमाव के लिए पहली सिंचाई कब दें, खरपतवार नियंत्रण के लिए कौन सी दवा है बेस्ट?गन्ने के प्रमुख खरपतवार एवं उनकी रोकथाम,गन्ने की खेती में बुवाई के समय पोषक तत्व प्रबंधन और सामान्य कृषि प्रथाएं
गन्ना भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है, जो किसानों के लिए आय का एक बड़ा स्रोत है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है।
आइए जानते हैं कि गन्ने की फसल में पहली सिंचाई कब देनी चाहिए और खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए कौन सी दवा सबसे अच्छी है।

गन्ने की फसल के लिए पानी की आवश्यकता
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने की फसल को उगाने के लिए 1500 से 1750 एमएम पानी की जरूरत होती है। इसमें से लगभग 50% पानी बारिश से मिल जाता है, जबकि बाकी 50% पानी सिंचाई के माध्यम से देना पड़ता है। गन्ने की फसल को पूरी तरह से तैयार होने के लिए 7-8 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
गन्ने के फसल की पहली सिंचाई कब दें?
गन्ने की बुवाई के बाद पहली सिंचाई का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर पहली सिंचाई सही समय पर नहीं दी जाए, तो पौधों का जमाव ठीक से नहीं हो पाता है।
- बुवाई के 20-30 दिन बाद पहली सिंचाई देनी चाहिए।
- यह सिंचाई हल्की होनी चाहिए, ताकि पौधों को पर्याप्त नमी मिल सके और उनका जमाव अच्छी तरह से हो सके।
Table of Contents
गन्ने की फसल में सिंचाई करने का समय
गन्ने की फसल में सिंचाई का समय और आवृत्ति मौसम और मिट्टी की नमी पर निर्भर करती है। यूपी- विहार के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने की फसल के लिए निम्न समय पर सिंचाई करनी चाहिए:-

- बुवाई के 20-30 दिन बाद: पहली सिंचाई (हल्की)।
- बुवाई के 45-60 दिन बाद: दूसरी सिंचाई।
- बुवाई के 90 दिन बाद: तीसरी सिंचाई।
- बुवाई के 120 दिन बाद: चौथी सिंचाई।
- बुवाई के 150 दिन बाद: पांचवीं सिंचाई।
- बुवाई के 180 दिन बाद: छठी सिंचाई।
- बुवाई के 210 दिन बाद: सातवीं सिंचाई।
- बुवाई के 240 दिन बाद: आठवीं सिंचाई।
गन्ने में खरपतवार नियंत्रण क्यों जरूरी है?
खरपतवार गन्ने की फसल के लिए एक बड़ी समस्या है। यह फसल के पोषक तत्व, पानी और सूरज की रोशनी को छीन लेते हैं, जिससे गन्ने की उपज 40% तक कम हो सकती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक और रासायनिक दोनों विधियों का उपयोग किया जा सकता है।
इसे भी पढ़े–
- Garmi Ka Best ilaj: Watermelon Ke 5 Cool Tarike Jo Rakhenge Aapko Fresh! 🍉❄️
- Ghibli AI Image के द्वारा क्या आपका चेहरा चोरी हो रहा है? घिबली स्टाइल AI और फेशियल रिकॉग्निशन का खतरा
- टॉप 10 टू-व्हीलर फरवरी 2025-स्प्लेंडर, एक्टिवा, जुपिटर, पल्सर, क्लासिक का जलवा
- होली में कभी ना करें ये गलती, नहीं तो घर में लगे पौधे जाएंगे सूख, जानिए रंगों से पौधे को बचाने की टिप्स
- Saffron Farming: नौकरी छोड़ घर पर केसर उगा कर कमा रहे करोड़ों, जानिए इस पति-पत्नी की सफलता की कहानी
खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक विधि
- गुड़ाई: हर सिंचाई के बाद ओट आने पर कुदाल या कल्टीवेटर से गुड़ाई करें।
- सूखी पत्तियों का उपयोग: गन्ने की पंक्तियों के बीच सूखी पत्तियों की 7-10 सेमी (Cm) मोटी परत बिछाएं। यह पत्तियां खरपतवार को रोकने के साथ-साथ बारिश के मौसम में कंपोस्ट खाद का काम भी करती हैं।
- कीटनाशक का उपयोग: अगर सूखी पत्तियों में कीट दिखें, तो कीटनाशक का छिड़काव करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि
अगर खरपतवार अधिक हो और मजदूरों की कमी हो, तो रासायनिक विधि का उपयोग करें। इसके लिए निम्न दवाओं का छिड़काव करें:-
एट्राजीन:–
- मात्रा:- 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर।
- समय:- बुवाई के 7-15 दिन बाद।
2-4 डी:–
- मात्रा:- 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर।
- समय:- बुवाई के 45-60 दिन बाद।
- इन दवाओं को 1125 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
गन्ने की बुवाई का सही समय
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने की बुवाई का काम 15 फरवरी से 30 मार्च तक चलता है। इस दौरान तापमान 28-35 (°C) डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जो गन्ने की बुवाई के लिए आदर्श है। अगर किसान देर से बुवाई करना चाहें, तो वे अप्रैल से 15 मई तक बसंतकालीन गन्ने की बुवाई कर सकते हैं।
निष्कर्ष
गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। पहली सिंचाई बुवाई के 20-30 दिन बाद हल्की मात्रा में देनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक विधि के साथ-साथ एट्राजीन और 2-4 डी जैसी दवाओं का उपयोग करें। इन उपायों को अपनाकर किसान गन्ने की फसल से अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
FAQ
गन्ने की फसल के लिए कितने पानी की जरूरत होती है?
गन्ने की फसल को उगाने के लिए 1500 से 1750 मिमी पानी की जरूरत होती है। इसमें से लगभग 50% पानी बारिश से मिल जाता है, जबकि बाकी 50% पानी सिंचाई के माध्यम से देना पड़ता है।
गन्ने की पहली सिंचाई कब देनी चाहिए?
गन्ने की बुवाई के 20-30 दिन बाद पहली सिंचाई देनी चाहिए। यह सिंचाई हल्की होनी चाहिए, ताकि पौधों का जमाव अच्छी तरह से हो सके।
गन्ने की फसल में कितनी सिंचाई की जरूरत होती है?
गन्ने की फसल को पूरी तरह से तैयार होने के लिए 7-8 सिंचाई की आवश्यकता होती है। इन सिंचाईयों को बुवाई के 20-30 दिन बाद शुरू करके 240 दिन तक करना चाहिए।
गन्ने में खरपतवार नियंत्रण क्यों जरूरी है?
खरपतवार गन्ने की फसल के पोषक तत्व, पानी और सूरज की रोशनी को छीन लेते हैं, जिससे उपज 40% तक कम हो सकती है। इसलिए खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है।
खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक विधि क्या है?
हर सिंचाई के बाद ओट आने पर कुदाल या कल्टीवेटर से गुड़ाई करें।
गन्ने की पंक्तियों के बीच सूखी पत्तियों की 7-10 सेमी मोटी परत बिछाएं।
अगर सूखी पत्तियों में कीट दिखें, तो कीटनाशक का छिड़काव करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए कौन सी दवाएं उपयोगी हैं?
एट्राजीन: 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर, बुवाई के 7-15 दिन बाद छिड़काव करें।
2-4 डी: 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर, बुवाई के 45-60 दिन बाद छिड़काव करें।
इन दवाओं को 1125 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
गन्ने की बुवाई का सही समय क्या है?
उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में गन्ने की बुवाई 15 फरवरी से 30 मार्च तक की जाती है। अगर किसान देर से बुवाई करना चाहें, तो वे अप्रैल से 15 मई तक बसंतकालीन गन्ने की बुवाई कर सकते हैं।
गन्ने की फसल में सिंचाई का समय कैसे तय करें?
गन्ने की फसल में सिंचाई का समय मौसम और मिट्टी की नमी पर निर्भर करता है। सामान्यतः बुवाई के 20-30 दिन बाद पहली सिंचाई देनी चाहिए और फिर हर 30-45 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
गन्ने की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए सूखी पत्तियों का उपयोग कैसे करें?
गन्ने की पंक्तियों के बीच सूखी पत्तियों की 7-10 सेमी मोटी परत बिछाएं। यह पत्तियां खरपतवार को रोकने के साथ-साथ बारिश के मौसम में कंपोस्ट खाद का काम भी करती हैं।
गन्ने की फसल में एट्राजीन का उपयोग कैसे करें?
एट्राजीन का उपयोग खरपतवार नियंत्रण के लिए किया जाता है। 2.24 किग्रा एट्राजीन को 1125 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 7-15 दिन बाद छिड़काव करें।
गन्ने की फसल में 2-4 डी का उपयोग कैसे करें?
2-4 डी का उपयोग खरपतवार नियंत्रण के लिए किया जाता है। 2.24 किग्रा 2-4 डी को 1125 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 45-60 दिन बाद छिड़काव करें।
गन्ने की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या सावधानियां बरतें?
खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर गुड़ाई करें।
रासायनिक दवाओं का उपयोग करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
दवाओं का छिड़काव करते समय सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग करें।
गन्ने की फसल में सिंचाई क्यों जरूरी है?
गन्ने की फसल को अच्छी वृद्धि और उपज के लिए पर्याप्त पानी की जरूरत होती है। सिंचाई नहीं करने पर पौधों का विकास रुक सकता है और उपज कम हो सकती है।
गन्ने की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या करें अगर मजदूरों की कमी हो?
अगर मजदूरों की कमी हो, तो खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं जैसे एट्राजीन और 2-4 डी का उपयोग करें। इन दवाओं का छिड़काव करने से खरपतवार आसानी से नियंत्रित हो जाते हैं।
गन्ने की फसल में अच्छी उपज के लिए क्या करें?
समय पर सिंचाई करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक और रासायनिक विधियों का उपयोग करें।
उचित मात्रा में उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करें।
फसल की नियमित निगरानी करें और समस्याओं का तुरंत समाधान करें।