Saffron Farming: नौकरी छोड़ घर पर केसर उगाकर कमा रहे करोड़ों, जानिए इस पति-पत्नी की सफलता की कहानी, नौकरी छोड़ घर पर ही केसर उगा रहे पति-पत्नी, तीन करोड़ के करीब पहुंची सालाना कमाई, जानिए क्या है तरीका, घर में केसर उगाकर लखपति बनी गृहिणी,एक कमरे में केसर उगाओ, लाखों कमाओ |

एक दंपत्ति ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर घर पर ही केसर की खेती शुरू की और आज करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। उनकी सफलता की कहानी कई किसानों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
कश्मीर से ट्रेनिंग लेकर शुरू किया बिजनेस
दिव्या और अक्षय ने केसर की खेती शुरू करने से पहले दो साल कश्मीर में प्रशिक्षण लिया। वहां केसर उगाने की बारीकि से सीखने के बाद ही उन्होंने नागपुर में अपने घर के एक कमरे में केसर की खेती करने का फैसला किया।
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मिट्टी के बिना ‘एरोपोनिक’ तकनीक से उगाते हैं केसर
आमतौर पर खेती के लिए मिट्टी, जलवायु और बड़े खेत की जरूरत होती है, लेकिन इस जोड़ी ने ‘एरोपोनिक’ तकनीक अपनाई। इस विधि में पौधों को मिट्टी के बिना उगाया जाता है।

उन्होंने नागपुर के गर्म मौसम में कश्मीर जैसा वातावरण बनाने के लिए कमरे का तापमान और नमी नियंत्रित की। केसर के बीजों को साल के 8 महीने “स्लीप मोड” में रखा जाता है, जहां वे पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं।
सिर्फ 450 स्क्वायर फीट में हो रही है खेती
दिव्या और अक्षय ने महज 450 स्क्वायर फीट की जगह में केसर की खेती शुरू किये। यहां वे साल में 4 महीने फसल उगाते हैं। 2024 में उन्होंने 45 किलो केसर का उत्पादन किया, जिससे उनकी सालाना कमाई ढाई करोड़ रुपये से अधिक हो गई।
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फ्रेंचाइजी और ट्रेनिंग देकर बढ़ा रहे हैं व्यवसाय
इस जोड़ी ने केवल केसर बेचने तक ही सीमित नहीं रही। वे अन्य लोगों को इसकी ट्रेनिंग देकर और फ्रेंचाइजी बांटकर अपने बिजनेस को विस्तार दे रहे हैं।

बीबीए ग्रेजुएट अक्षय और पूर्व बैंकर दिव्या का यह सफर इस बात का उदाहरण है कि नवाचार और मेहनत से छोटी जगह में भी बड़ी सफलता पाई जा सकती है।
जोखिम उठाकर बनाई मिसाल
नौकरी छोड़ने का जोखिम उठाने वाले इस दंपति ने साबित किया कि सही योजना और तकनीक से पारंपरिक चुनौतियों को पीछे छोड़ा जा सकता है। आज उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि कृषि क्षेत्र में नए अवसरों की ओर भी इशारा करती है।
FAQ
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दिव्या और अक्षय होले कौन हैं, और उन्होंने क्या खास किया है?
दिव्या और अक्षय होले महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले एक युवा दंपति हैं। उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने घर के 450 स्क्वायर फीट के कमरे में एरोपोनिक तकनीक से कश्मीरी केसर की खेती शुरू की। इससे उनकी सालाना कमाई ढाई करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
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केसर की खेती शुरू करने से पहले उन्होंने क्या प्रशिक्षण लिया?
दिव्या और अक्षय ने केसर की खेती सीखने के लिए दो साल तक कश्मीर में प्रशिक्षण लिया। वहां उन्होंने कश्मीरी केसर उगाने की बारीकियां सीखीं, जिसके बाद नागपुर में इसकी खेती शुरू की।
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एरोपोनिक तकनीक क्या है, और यह कैसे काम करती है?
एरोपोनिक तकनीक में पौधों को बिना मिट्टी के उगाया जाता है। इसके लिए नियंत्रित वातावरण बनाकर तापमान, नमी और कोहरे (Mist) को मैनेज किया जाता है। दिव्या और अक्षय ने नागपुर के गर्म मौसम में कश्मीर जैसा वातावरण बनाया, जहां केसर के बीज 8 महीने “स्लीप मोड” में रहते हैं और पोषक तत्व ग्रहण करते हैं।
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उनकी सालाना कमाई और उत्पादन कितना है?
2024 में दिव्या और अक्षय ने 45 किलो केसर का उत्पादन किया, जिससे उनकी सालाना कमाई ढाई करोड़ रुपये से अधिक हो गई। वे महज 450 स्क्वायर फीट की जगह में साल के 4 महीने खेती करते हैं।
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अपने बिजनेस को विस्तार देने के लिए वे क्या कर रहे हैं?
यह दंपति केसर बेचने के साथ-साथ अन्य लोगों को इसकी ट्रेनिंग देता है और फ्रेंचाइजी बांट रहा है। इससे उन्हें अपने बिजनेस को देशभर में फैलाने में मदद मिल रही है।
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नौकरी छोड़ने का जोखिम उठाने के पीछे उनकी प्रेरणा क्या थी?
दिव्या और अक्षय ने पारंपरिक खेती की चुनौतियों को पार करने और नवाचार के जरिए कृषि में नए मॉडल को स्थापित करने के लिए यह जोखिम उठाया। उनकी सफलता से पता चलता है कि सही योजना और तकनीक से छोटी जगह में भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है।
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दिव्या और अक्षय होले कौन हैं? इन्होंने केसर की खेती क्यों शुरू की?
दिव्या और अक्षय होले महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले एक युवा दंपति हैं। दिव्या पहले एक बैंकर थीं, जबकि अक्षय ने बीबीए किया है। उन्होंने नौकरी छोड़कर केसर की खेती शुरू की, क्योंकि वे पारंपरिक खेती के तरीकों से हटकर नवाचार और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना चाहते थे।
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केसर की खेती के लिए उन्होंने ट्रेनिंग कहाँ से ली?
दिव्या और अक्षय ने दो साल तक कश्मीर में रहकर वहाँ के किसानों से केसर उगाने की बारीकियाँ सीखीं। इसके बाद ही उन्होंने नागपुर में खेती शुरू करने का फैसला किया।
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नागपुर के गर्म मौसम में केसर कैसे उगाते हैं?
नागपुर के मौसम को केसर के अनुकूल बनाने के लिए उन्होंने एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक में एक कंट्रोल्ड एनवायरनमेंट बनाया जाता है, जहाँ तापमान, नमी और प्रकाश को कश्मीर जैसा सेट किया जाता है। पौधों को मिट्टी की बजाय पोषक तत्वों से भरे घोल में उगाया जाता है।
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‘स्लीप मोड’ क्या है?
केसर के बीजों को साल के 8 महीने “स्लीप मोड” में रखा जाता है। इस दौरान बीज मिट्टी में रहकर पोषक तत्वों को सोखते हैं और सक्रिय फसल के लिए तैयार होते हैं। खेती सिर्फ 4 महीने (अक्टूबर से जनवरी) की जाती है।
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उनकी सालाना आय और उत्पादन क्षमता कितनी है?
2024 में उन्होंने 45 किलो केसर का उत्पादन किया, जिससे उनकी सालाना आय ढाई करोड़ रुपये से अधिक हो गई। यह सब महज 450 स्क्वायर फीट के कमरे में संभव हुआ है।
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व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वे क्या कर रहे हैं?
वे केसर बेचने के साथ-साथ दूसरे किसानों को ट्रेनिंग देते हैं और अपनी तकनीक की फ्रेंचाइजी बाँट रहे हैं। इससे उनका बिजनेस मॉडल देशभर में फैल रहा है।
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इस तरह की खेती में सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
कश्मीर और नागपुर के मौसम में अंतर होने के कारण कंट्रोल्ड एनवायरनमेंट बनाना सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन एरोपोनिक तकनीक और लगातार रिसर्च से उन्होंने इसे संभव बनाया।
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यह सफलता अन्य किसानों के लिए क्या संदेश देती है?
यह कहानी दिखाती है कि नवाचार, ट्रेनिंग और थोड़ी सी जगह का सही इस्तेमाल करके भी कृषि में बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। यह छोटे किसानों के लिए भी प्रेरणादायक है।