Ghibli AI Image के द्वारा क्या आपका चेहरा चोरी हो रहा है? घिबली स्टाइल AI और फेशियल रिकॉग्निशन का खतरा, AI Risks: ‘घिबली’ का मजा कहीं न बन जाए सजा! चेहरा चुरा सकता है AI, फोटो अपलोड करने से पहले पढ़ लें यह खबर || ChatGPT से नहीं बन रही Ghibli-Style इमेज? इन Free AI टूल्स से तुरंत करें Generate |
आजकल सोशल मीडिया पर Ghibli स्टाइल में बनाई गई तस्वीरें छाई हुई हैं | OpenAI के ChatGPT 4o और अन्य AI टूल्स की मदद से लोग अपनी और अपने परिवार की तस्वीरें Ghibli स्टाइल में कन्वर्ट करके धड़ल्ले से शेयर कर रहे हैं |
लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा करके आप अनजाने में अपने चेहरे का डेटा AI कंपनियों को सौंप रहे हैं? यह सिर्फ Ghibli स्टाइल तक सीमित नहीं है, बल्कि हम रोजाना अपने फेशियल रिकॉग्निशन डेटा को कई ऐप्स और कंपनियों के साथ साझा कर रहे हैं तो हमे सावधान रहना चाहिए |

हर दिन चोरी हो रहा है आपका चेहरा
फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (Facial Recognition Technology, FRT) का बाजार तेजी से बढ़ रहा है |
Statista की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक यह बाजार 5.73 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है और 2031 तक 14.55 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर सकता है |
लेकिन यह टेक्नोलॉजी जितनी फायदेमंद है, उतनी ही खतरनाक भी साबित हो रही है |
जब भी हम सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करते हैं, ऐप्स को कैमरा एक्सेस देते हैं या फेस अनलॉक जैसी सुविधाओं का उपयोग करते हैं, तो हम जाने-अनजाने में AI कंपनियों को अपने चेहरे की जानकारी दे रहे होते हैं |
यह डेटा हमारे चेहरे की विशिष्ट विशेषताओं को स्कैन और स्टोर करता है, जो भविष्य में हमारे लिए खतरा बन सकता है |
पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड बदले जा सकते हैं, लेकिन अगर आपका चेहरा चोरी हो जाए, तो इसे बदलना नामुमकिन है |
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भारतीयों की लापरवाही और बढ़ता साइबर की खतरा
भारतीय यूजर्स के साथ एक समस्या यह है कि वे साइबर सुरक्षा को हल्के में लेते हैं, जब Clearview AI पर 3 बिलियन फोटोज चुराकर डेटाबेस बनाने और इसे पुलिस व निजी कंपनियों को बेचने का आरोप लगा, तब भी लोग ज्यादा चिंतित नहीं हुए |
मई 2024 में ऑस्ट्रेलियाई कंपनी Outabox का डेटा लीक हुआ, जिसमें 1.05 मिलियन लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और पते चोरी हो गए |
यह डेटा ‘Have I Been Outaboxed’ नामक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया | इससे पीड़ित लोगों को पहचान की चोरी और धोखाधड़ी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा |
इसके अलावा, कई दुकानों और सार्वजनिक स्थलों पर इस्तेमाल होने वाले फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम भी हैकर्स के निशाने पर रहते हैं |
एक बार डेटा चोरी होने के बाद, यह ब्लैक मार्केट में बेचा जाता है और इसका उपयोग सिंथेटिक आइडेंटिटी फ्रॉड, डीपफेक वीडियो और अन्य साइबर अपराधों में किया जाता है |
AI कंपनियां आपके चेहरे से कैसे कमा रही हैं पैसा?
बड़ी – बड़ी टेक कंपनियां, जैसे कि Meta और Google, यूजर्स की तस्वीरों का उपयोग अपने AI मॉडल को बेहतर बनाने के लिए करती हैं | लेकिन यह जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की जाती |
PimEyes जैसी वेबसाइटें किसी की भी फोटो अपलोड करके उनकी पूरी ऑनलाइन उपस्थिति को ट्रैक करने की सुविधा देती हैं, जिससे साइबर स्टॉकिंग का भी खतरा बढ़ जाता है |

Statista की रिपोर्ट बताती है कि फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी की मांग बढ़ती जा रही है. 2031 तक इस बाजार की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 16.79% रहने की उम्मीद है |
ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि लोग इस टेक्नोलॉजी के जोखिमों को भी समझें और सतर्क रहें |
कैसे बच सकते हैं इस खतरे से?
अगर आप चाहते हैं कि आपका बायोमेट्रिक डेटा सुरक्षित रहे, तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:-
- Ghibli स्टाइल और अन्य AI इमेज जेनरेशन ट्रेंड से बचें – जितना कम डेटा शेयर करेंगे, उतना सुरक्षित रहेंगे |
- सोशल मीडिया पर हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें अपलोड करने से बचें – कम रिजॉल्यूशन की इमेज अपलोड करने से डेटा की दुरुपयोग की संभावना कम होगी |
- फेस अनलॉक की बजाय पिन या पासवर्ड का उपयोग करें – बायोमेट्रिक डेटा की तुलना में पासवर्ड और पिन बदलना आसान होता है |
- AI कंपनियों और सरकार से जवाबदेही की मांग करें – यह जानने का हक हमारा है कि हमारे बायोमेट्रिक्स का उपयोग कैसे किया जा रहा है |
- AI और फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी पर कानूनी नियंत्रण जरूरी है – सरकारों को इस तकनीक के गैर-कानूनी उपयोग पर सख्त नियम लागू करने होंगे |
जब तक AI और फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कड़े कानून नहीं बनाए जाते, तब तक यह खतरा बना रहेगा |
इसलिए, अपने चेहरे और निजी डेटा की सुरक्षा को हल्के में न लें | AI जितना मददगार हो सकता है, उतना ही खतरनाक भी बन सकता है |
निष्कर्ष
आज के डिजिटल युग में फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (FRT) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही हमारी निजता और सुरक्षा को गंभीर खतरा भी पैदा हो गया है |
Ghibli स्टाइल AI इमेज जेनरेशन जैसे ट्रेंड्स केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि ये हमारे चेहरे का डेटा एकत्र करने और AI कंपनियों के लिए उसे मॉनेटाइज करने का जरिया भी बन सकते हैं |
हम अनजाने में सोशल मीडिया, फेस अनलॉक और अन्य डिजिटल सुविधाओं के जरिए अपने चेहरे की पहचान को कंपनियों के हाथों में सौंप रहे हैं |
इससे न केवल पहचान की चोरी (Identity Theft) और साइबर अपराधों का खतरा बढ़ रहा है, बल्कि हमारा बायोमेट्रिक डेटा भी ब्लैक मार्केट में बेचा जा सकता है|
इस खतरे से बचने के लिए हमें सतर्क रहने की जरूरत है | अपनी तस्वीरें कम से कम शेयर करें, फेस अनलॉक की बजाय पासवर्ड का उपयोग करें और सरकारों व टेक कंपनियों से पारदर्शिता की मांग करें |
जब तक इस टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त कानून लागू नहीं किए जाते, तब तक हमें खुद ही अपनी निजता की रक्षा के लिए कदम उठाने होंगे |
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