Ber Farming: बेर की खेती से सालाना 8-9 लाख रुपये कमाई: नासिरुद्दीन की सफलता की कहानी

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बेर की खेती से सालाना 8-9 लाख रुपये कमाई: नासिरुद्दीन की सफलता की कहानी

बेर की खेती से सालाना 8-9 लाख रुपये की कमाई बेर (Indian Jujube या Ziziphus mauritiana) एक कम लागत वाली और अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। यह शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है। 

पढ़ाई छोड़ खेती में ढूंढी नई राह  

त्रिपुरा के नासिरुद्दीन (नासिर) ने शिक्षा के बजाय खेती को चुना और बेर की खेती से सफलता का नया मुकाम हासिल किया।

पूर्वी त्रिपुरा के कदमताल ब्लॉक के गांव बित्रकुल काला गंगरपार के रहने वाले नासिर ने “जहां चाह, वहां राह” के मंत्र को चरितार्थ करते हुए खेती में अपना भविष्य संवारा है। आज वे सालाना 8-9 लाख रुपये कमाते हैं और सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।  

Table of Contents

प्रारंभिक जीवन: असफलताओं से शुरुआत

नासिर की शुरुआती जिंदगी संघर्षों से भरी थी। आर्थिक तंगी और पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने सेकेंडरी स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद भविष्य की चिंता ने उन्हें खेती की ओर मोड़ा। उनका मानना था कि खुद पर भरोसा और मेहनत से सफलता मिल सकती है।

सोशल मीडिया ने दिखाया नया सपना

नासिर के जीवन का निर्णायक मोड़ तब आया, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर बेर की खेती से जुड़ी एक पोस्ट देखी। इस पोस्ट में बेर की उन्नत खेती और उससे होने वाली अच्छी आय का जिक्र था। यहीं से उन्होंने बेर की खेती शुरू करने का फैसला किया।  

बेर की खेती से सालाना 8-9 लाख रुपये कमाई

2019 में शुरुआत किये : 200 पौधों से अपना सफर शुरू किये

साल 2019 में नासिर ने कोलकाता से बेर की 200 पौधे मंगाए और उन्हें 0.4 एकड़ (एक कानी) के खेत में लगाया। मेहनत रंग लाई और 1 जनवरी, 2020  को उन्होंने पहली फसल काटी। पहले ही साल **6 लाख रुपये** की कमाई ने उनका हौसला बढ़ाया।  

कोरोना काल में भी नहीं रुके इनके कदम

महामारी के दौरान भी नासिर ने हार नहीं मानी। पहली कमाई से उन्होंने खेत का विस्तार कर 2 एकड़ में बेर के पौधे लगाए। धीरे-धीरे पौधों की संख्या 1,000 तक पहुंच गई। आज उनके बाग में प्रति पौधा 30-40 किलो बेर का उत्पादन होता है।  

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डायरेक्ट कंज्यूमर मॉडल: ग्राहकों तक सीधी पहुंचने का रास्ता 

नासिर ने बेर बेचने के लिए एक अनोखा मॉडल अपनाया, जिसे उन्होंने डायरेक्ट कंज्यूमर मॉडल  नाम दिया। इसके तहत वे ग्राहकों को सीधे 100 रुपये प्रति किलो की दर से बेर बेचते हैं। उनके बाग का नाम इतना मशहूर हुआ कि रोजाना 50-60 ग्राहक भी आने लगे। अब तक उन्होंने 120 क्विंटल  बेर बेचकर रिकॉर्ड भी बनाया है।  

बेर की खेती से सालाना 8-9 लाख रुपये कमाई: नासिरुद्दीन की सफलता की कहानी

नासिर अब किसानों को सिखा रहे सफलता का गुण

नासिर की सफलता सिर्फ उन्हीं तक सीमित नहीं है। वे अन्य किसानों को बेर की खेती का प्रशिक्षण देते हैं और 100 रुपये प्रति पौधा की दर से नर्सरी भी बेचते हैं। उनका संदेश है: सरकारी नौकरी के पीछे न भागें, खेती में भी समृद्धि संभव है। 

सेल्फ मेड फार्मर की उपलब्धि  

नासिर खुद को सेल्फ मेड फार्मर  कहते हैं। उनकी मेहनत ने साबित किया कि सही योजना और लगन से की गई खेती भी करियर का बेहतर विकल्प बन सकती है। आज उनकी कहानी न केवल त्रिपुरा, बल्कि पूरे देश के युवाओं को प्रेरित कर रही है।

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FAQ

नासिरुद्दीन ने खेती क्यों चुनी?

 नासिरुद्दीन ने पढ़ाई में मन न लगने और आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा छोड़ दी। भविष्य की चिंता से उन्होंने खेती को अपनाया और बेर की खेती से सफलता पाई।

 बेर की खेती का आइडिया उन्हें कहाँ से मिला?

उन्हें सोशल मीडिया पर बेर की खेती से जुड़ी एक पोस्ट देखकर प्रेरणा मिली, जिसमें इसकी अच्छी कमाई के बारे में बताया गया था।

नासिर ने बेर की खेती कब और कैसे शुरू की?

साल 2019 में उन्होंने कोलकाता से 200 बेर के पौधे मंगवाए और 0.4 एकड़ (एक कानी) के खेत में लगाए। पहली फसल जनवरी 2020 में तैयार हुई।

उनकी पहली फसल से कितनी कमाई हुई?

पहली फसल से उन्हें 6 लाख रुपये की कमाई हुई, जिससे उन्होंने खेत का विस्तार किया।

 “डायरेक्ट कंज्यूमर मॉडल” क्या है?

यह नासिर का अनोखा बिजनेस मॉडल है, जिसमें वे बेर को सीधे ग्राहकों को 100 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचते हैं। इससे उनकी लाभ मार्जिन बढ़ी और ग्राहकों से सीधा जुड़ाव हुआ।

एक पौधे से कितना उत्पादन होता है?

प्रत्येक पौधे से हर साल 30-40 किलो बेर का उत्पादन होता है। उनके पास अब 1,000 पौधे हैं, जिससे उत्पादन बढ़ गया है।

कोरोना काल में उन्होंने कैसे कामयाबी पाई?

महामारी के दौरान भी नासिर ने खेती जारी रखी। पहली कमाई से उन्होंने खेत को 2 एकड़ तक बढ़ाया और पौधों की संख्या 1,000 कर दी।

वे अन्य किसानों की कैसे मदद कर रहे हैं?

नासिर अन्य किसानों को बेर की खेती का प्रशिक्षण देते हैं और 100 रुपये प्रति पौधा की दर से नर्सरी भी बेचते हैं, ताकि वे भी इससे आमदनी बढ़ा सकें।

नासिर की सालाना आय कितनी है?

बेर की खेती और पौधों की बिक्री से उनकी सालाना आय 8-9 लाख रुपये है।

उनकी कहानी से क्या सीख मिलती है?

नासिर की कहानी सिखाती है कि मेहनत, आत्मविश्वास और नवाचार से खेती में भी सफलता पाई जा सकती है। सरकारी नौकरी के बजाय कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाया जा सकता है।

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