ISRO ने रचा इतिहास: XPoSat सैटेलाइट का सफल लॉन्च हुआ 2024 के पहले दिन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने नए साल की शुरुआत में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अंतरिक्ष में एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इस मिशन से भारत दुनिया का दूसरा देश बन गया है जो ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों को अध्ययन करने के लिए एक विशेष सैटेलाइट भेजने में सफल हुआ है। इसे PSLV C58 के रॉकेट से भेजा गया है।
इस लॉन्च से भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मोड़ तय किया है, जिसमें ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए विशेष सैटेलाइट का उपयोग अब होगा।
इससे नए और सही तरीके से खोज के लिए इस्तिमाल में लीया जायेगा जिससे हमे बहोत्त मदद मिलेगी और वैज्ञानिकों को एक नए और अज्ञात क्षेत्रों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने को मिलेगा।
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2024 में लॉन्च हुए ISRO का XPoSat सैटेलाइट का कार्य
ISRO का XPoSat सैटेलाइट का मुख्य कार्य पृथ्वी से बाहर, आकाशगंगा में होने वाली उथल- पुथल के गतिविधियों का अध्ययन करना है। इसमें एक्स-रे पोलारिमीटर होगा, जिससे वैज्ञानिक ब्लैक होलों की गहराईयों में होने वाली प्रक्रियाओं को समझ सकेंगे या समझने की कोशिश करेंगे। इससे न्यूट्रॉन सितारों के बारे में भी नई जानकारी मिलेगी, जिससे खगोलशास्त्र में नए खुलासे हो सकते हैं।
2024 में लॉन्च हुए ISRO का XPoSat सैटेलाइट मिशन की योजना और विवादों में सफलता
ISRO का यह मिशन करीब पाँच साल की तैयारी के बाद हुआ है और इसमें अनेकों तकनीकी चुनौतियों का सामना किया गया है। जिसे इसरो ने बखूबी सामना किया है। इन सारी योजना में सफलता प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों ने अपनी ऊर्जा, उम्मीद और कुशलता का प्रदर्शन बहुत अच्छे से किया है।
ISRO का XPoSat सैटेलाइट हुआ चरणबद्ध तरीके से लॉन्च
ISRO ने इस मिशन को सफलता से पूरा करने के लिए एक चरणबद्ध तरीके से लॉन्च किया गया है। यह लॉन्च चार चरणों में हुआ, जिसमें हर एक चरण ने अपने कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। इस मिशन मे यान, चरण, और पेलोड सभी तैयार थे इस लिए ये सभी चरण सफलता पूर्वक खतम हुऐ और उनका सही से काम संपन्न भी हुआ है।
- पहले चरण में ISRO का XPoSat यान से अलग हुआ:- यान ने सफलता से अपना पहला चरण पूरा किया और तब वह अपनी यात्रा को जारी रख रखा था। इससे अंतरिक्ष में सैटेलाइट को उच्चतम ऊंचाई तक पहुँचाने में मदद मिली थी।
- दूसरे चरण में ISRO का XPoSat अपने 2nd Stage से अलग हुआ :- इस चरण मे भी अपना कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया और यान को सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष में ले जाने में मदद कर रहा था।
- तीसरे चरण में ISRO का XPoSat पेलोड सफल से हुआ अलग :- सैटेलाइट के पेलोड ने भी अपने क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम किया और अलग हो गया अब इसका सिस्टम वज्ञानिको ने इसके सिस्टम शुरू किए और वैज्ञानिकों को अब नए डेटा को सही से अध्ययन करने का अवसर मिलेगा।
ISRO का XPoSat सैटेलाइट के पेलोड्स की डिटेल्स : POLIX और XSPECT
POLIX: Raman Research Institute ने रियलाइज किया है, जिसका मुख्य कार्य दूर तारों से आने वाले एक्स-रे लाइट का मापन करना है। यह थॉमसन स्कैटरिंग के माध्यम से 8-30keV तक के ऊर्जा सीमा में आने वाले एक्स-रे की ध्रुवाक्षता को मापता है।
XSPECT: URSC के Space Astronomy Group ने बनाया है, जिसका उद्देश्य 0.8-15 keV तक के ऊर्जा सीमा में कॉस्मिक एक्स-रे स्रोतों के लंबे समय तारीक और स्पेक्ट्रल अध्ययन करना है।
ISRO का XPoSat सैटेलाइट मिशन के लक्ष्य
1. POLIX पेलोड के द्वारा एक्स-रे की ध्रुवाक्षता का मापन: यह पेलोड तारों से आने वाले एक्स-रे की ध्रुवाक्षता को 8-30keV तक की ऊर्जा सीमा में मापता है।
2. XSPECT पेलोड के द्वारा कॉस्मिक एक्स-रे स्रोतों के लंबे समय तारीक और स्पेक्ट्रल अध्ययन: यह पेलोड 0.8-15keV तक की ऊर्जा सीमा में कॉस्मिक एक्स-रे स्रोतों के लंबे समय तारीक और स्पेक्ट्रल अध्ययन करने का कार्य करता है।
3. ISRO का पूरा हुआ मिशन: ISRO का नया कीर्तिमान इस मिशन से भारत ने एक और उच्चतम ऊंचाईयों की ओर कदम बढ़ाते हुए अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी माहिरत दिखाई है। इस सफलता के बाद, आगे के अंतरिक्ष मिशन्स में और भी ऊंचाइयों को छूने की उम्मीद है, जो भविष्य में और भी अद्भुत खगोलीय रहस्यों को खोलेंगे।
ISRO का XPoSat मिशन एक ऐतिहासिक कदम
इस मिशन से भारत ने अमेरिका के बाद ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए एक विशेष सैटेलाइट भेजने में सफलता प्राप्त कर ली है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश को गहरे खगोलीय अनुसंधान में अग्रणी बनाए रखने में मदद करेगा।
इसमें दो पेलोड्स हैं – POLIX (Polarimeter Instrument in X-rays) और XSPECT (X-ray Spectroscopy and Timing)।
ISRO का XPoSat मिशन का सेटलाइट कितने ऊंचाई तक गया है
ISRO का XPoSat मिशन का सेटलाइट यान ने अपने यात्रा के दौरान 250 किमी की ऊंचाई प्राप्त कर ली थी, जो इस मिशन की सफलता की पहली सीढ़ी थी l, जो एक और प्रमाण है इसरो के सफलता का। इसे और बढ़िया से कम करने के लिए 650 km के वृताकार क्षेत्र में घूर्णन कर रहा है। जो सैटेलाइट को विशेष रूप से अध्ययन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले डेटा प्राप्त करने में सहायता करेगा।
सोशल मीडिया और लाइव देखें
इसरो के इस मिशन को आप उनकी आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया चैनल्स पर लाइव देख सकते हैं। इसमें वीडियो, चित्र, और लाइव अपडेट्स शामिल होंगे जो लोगों को मिशन के सफलतापूर्वक पूरा होने की जानकारी पूरी प्रदान करेंगे।
यहां देखें लाइव: ISRO XPoSat Launch
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ISRO के इस मिशन से भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नए रिकॉर्ड बनाए हैं और यह दुनिया को दिखाया है कि वह गहरे खगोलीय अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गये है। इस सफलता के बाद, आगे के अंतरिक्ष मिशन्स में और भी ऊंचाइयों को छूने की उम्मीद है, जो भविष्य में और भी अद्भुत खगोलीय रहस्यों को भारत खोलेंगा।
FAQ
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नए साल के पहले दिन (2024) ISRO ने कौन-कौन से महत्वपूर्ण कदम उठाए?
ISRO नए साल के पहले दिन अंतरिक्ष में एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। यह मिशन ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए है और भारत को दूसरे देश के सामने सशक्त हो के खरा होने के लिए एक दृढ़ रूप में इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है।
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XPoSat मिशन के लिए कौन-कौन से पेलोड्स हैं और इनका क्या कार्य है?
XPoSat मिशन के लिए POLIX (Polarimeter Instrument in X-rays) और XSPECT (X-ray Spectroscopy and Timing) पेलोड्स हैं। POLIX तारों से आने वाले एक्स-रे की ध्रुवाक्षता को मापता है, जबकि XSPECT कॉस्मिक एक्स-रे स्रोतों के लंबे समय तारीक और स्पेक्ट्रल अध्ययन के लिए है।
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ISRO के XPoSat सैटेलाइट ने कितनी ऊंचाई तक पहुँचा है?
ISRO का XPoSat सैटेलाइट ने अपनी यात्रा के दौरान 650 किमी की ऊंचाई प्राप्त की है, जो इस मिशन की सफलता की पहली सीढ़ी है। इससे भारत ने गहरे खगोलीय अनुसंधान में एक नए रिकॉर्ड बनाया है।
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