गन्ने की खेती: सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण के आसान टिप्स
पानी की आवश्यकत:गन्ने की फसल को 1500-1750 मिमी पानी की जरूरत होती है |इसमें से 50% पानी बारिश से मिलता है, बाकी 50% सिंचाई से देना पड़ता है।
पहली सिंचाई:बुवाई के 20-30 दिन बाद हल्की सिंचाई करें।इससे पौधों का जमाव अच्छी तरह होता है।
सिंचाई की संख्या:गन्ने की फसल को पूरे मौसम में 7-8 सिंचाई की जरूरत होती है।सिंचाई बुवाई के 20-30 दिन बाद शुरू करके 240 दिन तक करें।
खरपतवार का प्रभाव:खरपतवार पोषक तत्व, पानी और सूरज की रोशनी छीन लेते हैं।इससे उपज 40% तक कम हो सकती है।
खरपतवार नियंत्रण (यांत्रिक विधि):हर सिंचाई के बाद ओट आने पर कुदाल या कल्टीवेटर से गुड़ाई करें।गन्ने की पंक्तियों के बीच सूखी पत्तियों की 7-10 सेमी मोटी परत बिछाएं।
खरपतवार नियंत्रण (रासायनिक विधि):एट्राजीन: 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर, बुवाई के 7-15 दिन बाद छिड़काव करें।2-4 डी: 2.24 किग्रा प्रति हेक्टेयर, बुवाई के 45-60 दिन बाद छिड़काव करें।
बुवाई का सही समय:पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 15 फरवरी से 30 मार्च तक बुवाई करें।देर से बुवाई के लिए अप्रैल से 15 मई तक बसंतकालीन गन्ने की बुवाई कर सकते हैं।
अच्छी उपज के लिए टिप्स:समय पर सिंचाई करें।खरपतवार नियंत्रण के लिए यांत्रिक और रासायनिक विधियों का उपयोग करें।उचित मात्रा में उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग करें।
गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी है। इन उपायों को अपनाकर किसान गन्ने की फसल से अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।