Moong Farming: मूंग की खेती से मालामाल बनने का सुनहरा अवसर, जानें कैसे और कब करें इसकी खेती

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Moong Farming: मूंग की खेती से मालामाल बनने का सुनहरा अवसर, जानें कैसे और कब करें इसकी खेती,Business Idea Moong Farming: गर्मी के मौसम में करें मूंग की खेती, होगी बंपर कमाई, वैज्ञानिकों ने दिए टिप्स,मूंग की खेती कैसे करें – पूरी जानकारी | Moong ki kheti | Green Gram | Agriculture,Moong Dal Farming: इस विधि से करें मूंग की खेती, एक सीजन में हो जाएंगे मालामाल!

आज के समय में शहरों से गांवों की ओर रुख कर रहे पढ़े-लिखे नौकरीपेशा लोग खेती के माध्यम से करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं। ऐसी ही एक फसल है मूंग दाल, जिसकी खेती से लोग अच्छी-खासी आमदनी कमा सकते हैं। आजकल पढ़े-लिखे लोग भी किसानी की ओर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि कॉरपोरेट जॉब से बेहतर है अपना खुद का व्यवसाय करना।

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मूंग की खेती से मालामाल बनने का सुनहरा अवसर

खेती में नई तकनीक और ज्ञान का उपयोग करके वे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। आज हम आपको मूंग दाल की खेती के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो न केवल कम लागत में शुरू की जा सकती है, बल्कि इससे अच्छी आमदनी भी हो सकती है। मूंग दाल की मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है, क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है।

सेहत के प्रति बढ़ती जागरूकता

कोरोना महामारी के बाद लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता काफी बढ़ गई है। लोग अब ऐसी चीजों का सेवन करना चाहते हैं, जो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। मूंग दाल प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फेनोलिक एसिड, फ्लेवोनोइड्स और लिपिड जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटीहाइपरटेंसिव, एंटीट्यूमर और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं, जो इसे और भी फायदेमंद बनाते हैं।

पोषक तत्वों का भंडार: मूंग दाल

मूंग दाल न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि यह पोषक तत्वों से भरपूर भी होती है। इसे “सुपरफूड” की श्रेणी में रखा जा सकता है, क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। आइए जानते हैं कि मूंग दाल में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं और यह हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है।

Table of Contents

मूंग दाल में पाए जाने वाले पोषक तत्व

प्रोटीन:-

  • मूंग दाल प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है।
  • यह शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन की कमी को पूरा करने का बेहतरीन विकल्प है।

कार्बोहाइड्रेट:- मूंग दाल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अच्छी होती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

फाइबर:- इसमें डाइटरी फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।

विटामिन्स:

  • विटामिन बी1(थियामिन):- यह शरीर की ऊर्जा प्रक्रिया में मदद करता है।
  • विटामिन बी6:-यह मस्तिष्क के विकास और कार्य के लिए जरूरी है।
  • फोलेट:- यह गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है।

मिनरल्स:-

  • आयरन: यह खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है और एनीमिया से बचाता है।
  • पोटैशियम: यह हृदय स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
  • मैग्नीशियम: यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और मांसपेशियों के कार्य में मदद करता है।

एंटीऑक्सीडेंट्स:-मूंग दाल में फेनोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।

लिपिड्स:- इसमें स्वस्थ वसा की मात्रा कम होती है, जो हृदय के लिए फायदेमंद है।

मूंग दाल के स्वास्थ्य लाभ

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:- मूंग दाल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
  • पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे:- इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और कब्ज से बचाता है।
  • वजन नियंत्रण में मददगार:- मूंग दाल में कैलोरी कम और फाइबर अधिक होता है, जो वजन घटाने में मदद करता है।
  • हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद:- इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है।
  • डायबिटीज के लिए उपयोगी:- मूंग दाल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद:- इसमें मौजूद प्रोटीन और विटामिन्स त्वचा और बालों को स्वस्थ रखते हैं।

मूंग की अच्छी किस्म से मिलेगा ज्यादा मुनाफा: मूंग की खेती

मूंग की खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए सही किस्म का चयन करना बहुत जरूरी है। अच्छी किस्म के बीज न केवल अधिक उपज देते हैं, बल्कि ये रोगों और कीटों के प्रति भी प्रतिरोधक होते हैं। आइए जानते हैं कि मूंग की कौन-सी किस्में बेहतर हैं और कैसे वे आपको ज्यादा मुनाफा दिला सकती हैं।

मूंग की उन्नत किस्में

  • पूसा विशाल
  • पूसा 9531
  • एमएल 131
  • एमएल 818
  • टाइप 44

अच्छी किस्म के फायदे

  • अधिक उपज:- उन्नत किस्में अधिक उपज देती हैं, जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा होता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता:-ये किस्में पीला मोजेक वायरस, फली छेदक और अन्य रोगों के प्रति प्रतिरोधक होती हैं।
  • कम समय में तैयार:-ये किस्में जल्दी पकने वाली होती हैं, जिससे किसान एक सीजन में दो फसलें ले सकते हैं।
  • बेहतर गुणवत्ता:-इन किस्मों की फलियों का आकार और रंग बेहतर होता है, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
  • कम लागत:-रोग और कीट प्रतिरोधक होने के कारण इन किस्मों में कीटनाशकों और उर्वरकों की लागत कम आती है।
मूंग की खेती कब और कैसे करें | Moong ki kheti kaise karen🌱Mung ki kheti 2025

कैसे चुनें सही किस्म?

  • मौसम के अनुसार:-गर्मी के मौसम के लिए पूसा विशाल और एमएल 131 जैसी किस्में उपयुक्त हैं।
  • मिट्टी की गुणवत्ता:-दोमट मिट्टी के लिए एमएल 818 और टाइप 44 जैसी किस्में बेहतर हैं।
  • बाजार की मांग:-बाजार में जिस किस्म की मांग अधिक हो, उसका चयन करें।
  • विशेषज्ञ की सलाह:-कृषि विशेषज्ञ या स्थानीय कृषि विभाग से सलाह लेकर सही किस्म का चयन करें।

दाल के क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत

भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है, लेकिन फिर भी हमें दालों के क्षेत्र में और आगे बढ़ने की जरूरत है। दालों की बढ़ती मांग, पोषण संबंधी जरूरतों और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में निवेश और नवाचार की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि दालों के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

दालों के क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत क्यों है?

  • बढ़ती जनसंख्या और मांग:
    • भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके साथ दालों की मांग भी बढ़ रही है।
    • दालें प्रोटीन का सबसे सस्ता और प्रमुख स्रोत हैं, जो शाकाहारी लोगों के लिए बहुत जरूरी है।
  • पोषण संबंधी कमी:
    • भारत में कुपोषण और प्रोटीन की कमी एक बड़ी समस्या है। दालों का उत्पादन बढ़ाकर इस समस्या को कम किया जा सकता है।
  • किसानों की आय बढ़ाने के लिए:
    • दालों की खेती कम लागत में शुरू की जा सकती है और यह किसानों के लिए अच्छा मुनाफा देती है।
  • आयात पर निर्भरता कम करने के लिए:
    • भारत दालों का आयात करता है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है अगर हम अपने देश में ही दालों का उत्पादन बढ़ाएं।

ये भी पढ़े

दालों के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए क्या करना चाहिए

  • उन्नत किस्मों का विकास
  • किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता
  • सिंचाई सुविधाओं का विस्तार
  • सरकारी योजनाओं का लाभ
  • बाजार तक पहुंच सुगम बनाएं
  • जैविक खेती को बढ़ावा
  • फसल चक्र और मिश्रित खेती
  • रिसर्च और डेवलपमेंट

दालों के क्षेत्र में आगे बढ़ने के फायदे

  • किसानों की आय में वृद्धि:- दालों की खेती से किसानों की आय बढ़ेगी और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
  • पोषण सुरक्षा:- दालों का उत्पादन बढ़ने से देश में पोषण सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • आयात पर निर्भरता कम होगी:- दालों का उत्पादन बढ़ने से आयात पर निर्भरता कम होगी और विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
  • रोजगार के अवसर:- दालों के क्षेत्र में निवेश और विकास से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

मूंग की खेती के लिए जरूरी बातें

मूंग की खेती के लिए जरूरी बातें
  • बुवाई का सही समय:
    • मूंग की खेती के लिए गर्मी का मौसम सबसे उपयुक्त होता है।
    • भारत में मार्च से जून तक इसकी बुवाई की जा सकती है।
  • खेत की तैयारी:
    • खेत को अच्छी तरह से जोतकर मिट्टी को समतल करें।
    • खरपतवार को पूरी तरह से हटा दें, क्योंकि यह फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • सिंचाई प्रबंधन:
    • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें, ताकि अधिक पानी जमा न हो।
    • ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करें, जिससे पानी की बचत होती है और फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है।
  • उन्नत किस्मों का चयन:
    • अच्छी किस्म के बीजों का चयन करें, जैसे कि पूसा विशाल, पूसा 9531, या एमएल 131।
    • ये किस्में अधिक उपज देती हैं और रोगों के प्रति प्रतिरोधक होती हैं।
  • खरपतवार नियंत्रण:
    • निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को नियंत्रित करें।
    • रासायनिक खरपतवारनाशक का उपयोग करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
  • कीट और रोग प्रबंधन:
    • फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए समय-समय पर निगरानी करें।
    • जैविक कीटनाशकों का उपयोग करके फसल को सुरक्षित रखें।

मूंग की खेती से मुनाफा

मूंग दाल की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है, क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसकी खेती में लागत कम आती है, लेकिन मुनाफा अच्छा होता है। अगर आप उन्नत किस्मों का चयन करते हैं और सही तकनीक का उपयोग करते हैं, तो आप इससे अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।

निष्कर्ष

मूंग की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है, जिसे कम लागत में शुरू किया जा सकता है। सेहत के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण इसकी मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है। अगर आप सही समय पर बुवाई, सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण जैसे उपायों को अपनाते हैं, तो आप मूंग की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस तरह, मूंग की खेती न केवल आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि देश में दालों के उत्पादन को भी बढ़ावा देगी।

FAQ

मूंग की खेती क्यों फायदेमंद है?

मूंग की खेती कम लागत में शुरू की जा सकती है और इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। यह प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिससे इसकी बिक्री आसानी से हो जाती है।

मूंग की खेती के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?

मूंग की खेती के लिए गर्मी का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। भारत में मार्च से जून तक इसकी बुवाई की जा सकती है।

मूंग की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें?

खेत को अच्छी तरह से जोतकर मिट्टी को समतल करें।
खरपतवार को पूरी तरह से हटा दें।
जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

मूंग की खेती में कौन-सी किस्में बेहतर हैं?

कुछ उन्नत किस्में हैं:
पूसा विशाल
पूसा 9531
एमएल 131
ये किस्में अधिक उपज देती हैं और रोगों के प्रति प्रतिरोधक होती हैं।

मूंग की खेती में सिंचाई कैसे करें?

ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करें, जिससे पानी की बचत होती है।
खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें, ताकि अधिक पानी जमा न हो।

मूंग की खेती में खरपतवार कैसे नियंत्रित करें?

निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को नियंत्रित करें।
रासायनिक खरपतवारनाशक का उपयोग करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।

 मूंग की फसल को कीटों और रोगों से कैसे बचाएं?

फसल को नियमित रूप से निगरानी करें।
जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटा दें।

मूंग की खेती से कितना मुनाफा हो सकता है?

मूंग की खेती में लागत कम आती है, लेकिन मुनाफा अच्छा होता है। अगर सही तकनीक और उन्नत किस्मों का उपयोग किया जाए, तो प्रति हेक्टेयर 50,000 से 70,000 रुपये तक का मुनाफा हो सकता है।

मूंग दाल की मांग क्यों बढ़ रही है?

कोरोना महामारी के बाद लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ी है। मूंग दाल प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिससे इसकी मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है।

मूंग की खेती में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

खेत में खरपतवार न होने दें।
सही समय पर सिंचाई करें।
उन्नत किस्मों का चयन करें।
कीट और रोग प्रबंधन पर ध्यान दें।

मूंग की खेती कितने दिनों में तैयार होती है?

मूंग की फसल आमतौर पर बुवाई के 60 से 75 दिनों के बीच तैयार हो जाती है। यह किस्म और मौसम पर निर्भर करता है।

मूंग की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त है?

मूंग की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

मूंग की बुवाई कैसे करें?

बीजों को 4-6 सेमी की गहराई पर बोएं।
पंक्तियों के बीच की दूरी 30-45 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10-15 सेमी रखें।
बीज दर: प्रति हेक्टेयर 12-15 किलोग्राम बीज।

मूंग की खेती में कौन-कौन से उर्वरकों का उपयोग करें?

बुवाई से पहले 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40-50 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20-25 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
फूल आने के समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन का छिड़काव करें।

मूंग की फसल में कौन-कौन से कीट लगते हैं?

हरा तेला: यह पत्तियों का रस चूसता है।
फली छेदक: यह फलियों को नुकसान पहुंचाता है।
सफेद मक्खी: यह पत्तियों को पीला कर देती है।

मूंग की फसल में कौन-कौन से रोग होते हैं?

पीला मोजेक वायरस: पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।
चूर्णिल आसिता: पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा दिखता है।
जड़ सड़न: जड़ें सड़ने लगती हैं।

मूंग की फसल की कटाई कब करें?

जब फलियां पूरी तरह से पक जाएं और उनका रंग भूरा हो जाए, तो फसल की कटाई करें।

मूंग की खेती में ड्रिप सिंचाई क्यों महत्वपूर्ण है?

ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत होती है और फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है। यह तकनीक मूंग की फसल के लिए बहुत उपयोगी है।

मूंग की खेती में जैविक खेती कैसे करें?

जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करें।
नीम के तेल या गौमूत्र का छिड़काव करके कीटों को नियंत्रित करें।
फसल चक्र अपनाएं और जैविक उर्वरकों का उपयोग करें।

मूंग की खेती से जुड़ी सरकारी योजनाएं क्या हैं?

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि:- इस योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता मिलती है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY):- इस योजना के तहत किसानों को खेती के लिए अनुदान मिलता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:- इसके तहत मिट्टी की जांच कराई जा सकती है और उर्वरकों का सही उपयोग किया जा सकता है।

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