2000 kg का GSLV-F14/INSAT-3DS Mission: भारतीय मौसम Satellite का नया लॉन्च

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में एक नए सेटेलाइट का परिचय कराया है, जो मौसमी सेवाओं को सुधारने और उसे विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह उपग्रह वैश्विक गतिशीलता के साथ-साथ अप्रत्याशित (या अचानक) मौसम बदलावों का पूर्वानुमान करने के लिए नए तकनीक और उन्नत तकनीक का उपयोग करेगा।

GSLV-F14/INSAT-3DS Mission का उद्घाटन शनिवार, 17 फरवरी 2024 को, भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार 17:30 बजे को SDSC-SHAR (Satish Dhawan Space Centre), श्रीहरिकोटा से होगा। 

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इस 16वें मिशन में GSLV का उद्देश्य INSAT-3DS आंतरिक मौसम उपग्रह को भूसंचारी स्थानांतरण पथ (GTO- जियो-स्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट) में डिप्लॉय (स्थापित) करना है। उसके बाद उसके कक्षा को बढ़ाने या घटाने के प्रक्रियाओं से सुनिश्चित जगह पे स्थापित किया जाएगा, जिसकि वजह से सेटेलाइट को सही पोजिशन मिल सके उसके भू-आकाशीय पथ (Geo-stationary Orbit) में।

Table of Contents

GSLV-F14 Rocket की जानकारी | GSLV-F14 Rocket Information

GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) एक तीन-चरणीय और 51.7 मीटर लंबा प्रक्षेपण यान है, जिसका लिफ्टऑफ भार 420 टन है। 

  • पहली चरण (GS1) में 139 टन प्रोपेलेंट (इंधन) के साथ एक सॉलिड प्रोपेलेंट (S139) रखा गया है। और वही चार पृथ्वी संचित प्रोपेलेंट के चरण (L40) स्ट्रैपॉन्स होते हैं जो प्रत्येक में 40 टन तरल प्रोपेलेंट ले जाते हैं। 
  • दूसरी चरण (GS2) भी 40 टन प्रोपेलेंट से भरा एक पृथ्वी संचित प्रोपेलेंट चरण होता है। 
  • तीसरा चरण (GS3) एक क्रायोजेनिक चरण है, जिसमें तरल ऑक्सीजन (LOX) और तरल हाइड्रोजन (LH2) भरा हुआ है, जिसका वजन 15 टन होगा। 

वायुमंडलीय शास्त्र के अनुसार, उपग्रह को ओजिव पेलेलोड फेयरिंग (Ogive Payload fairing) द्वारा बचाव किया जाता है। GSLV रॉकेट का उपयोग संचार, नेविगेशन, पृथ्वी संसाधन सर्वेक्षण, और किसी भी अन्य संपत्तिक निधि मिशन को लॉन्च करने के लिए किया जाता है। यानी ये हेवी (भारी) सेटेलाइट को लॉन्च करने के काम आता है, जो की भारत के पास एक बढ़िया रॉकेट है।

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INSAT-3DS Satellite की जानकारी | INSAT-3DS Satellite Information

INSAT-3DS Satellite:  जियो-स्टेशनरी ऑर्बिट की तृतीय पीढ़ी के मौसम उपग्रह का अनुगामी मिशन है। GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन का पूरा खर्चा उठने वाला संस्था, मंत्रालय पृथ्वी विज्ञान (MoES- मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस) संस्था है। 

यह सेटेलाइट, मौसमी अवलोकन के लिए बेहतरिन वैश्विक सेवाएं और आपदा चेतावनी के लिए इसकी भूमिका निर्धारित कि गइ है। यह सेटेलाइट मौसमी सेवाओं को बढ़ावा देगा, साथ ही वर्तमान में संचालित INSAT-3D और INSAT-3DR सेटेलाइस के साथ मिलकर कुछ दिन काम करेगा। जिससे भारतीय उद्योग में बोहोत मदद मिलेगी, इसलिए भारतीय उद्योगों ने इस सेटेलाइट के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

ISRO ने इस मिशन के बारे में कुछ और खुलासा किया है। INSAT-3D और INSAT-3DR सेटेलाइस कुछ सालो में अपने सेवा से अवकाश लेने वाले हैं। इसके बाद इनका सारा बाग- डोर अभी भेजे जाने वाले सेटेलाइट  INSAT-3DS Satellite के हाथो में दे दिया जाएगा। 

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INSAT-3DS Satellite को बनाने वाले संस्था MoES के विभाग की जानकारी

MoES के विभिन्न विभाग है, जिसमे से सारे विभाग ने मिलकर इस सेटेलाइट को बनाया है। बनाने वाले विभाग है, जैसे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), भारतीय गर्मीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवाएं (इंकॉइस) और अन्य विभिन्न संस्थान और एजेंसियों द्वारा बनाया गया है। 

इसलिए INSAT-3DS उपग्रह के डेटा का उपयोग इन सभी विभाग द्वारा किया जाएगा ताकि मौसमी पूर्वानुमान और मौसमी सेवाएं सुधारी जा सकें।

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INSAT-3DS Satellite मिशन के प्रमुख उद्देश्य

इस उपग्रह का उपयोग करके, भारत सरकार और मौसम विज्ञानी अप्रत्याशित मौसम घटनाओं के लिए तत्पर रहेंगे और साथ ही उपग्रह सहायित खोज और बचाव सेवाओं को समर्थित करेंगे। यह उपग्रह भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौसम और आपदा प्रबंधन में नेतृत्व की भूमिका में मजबूत करेगा।

  1. INSAT-3DS Satellite मिशन के प्रमुख उद्देश्य पृथ्वी की सतह, महासागरीय वातावरण का अवलोकन और विभिन्न मौसमी महत्व के विभिन्न स्पेक्ट्रल चैनलों में सेटेलाइट का मौसमी सेवाओं के लिए मॉनिटरिंग करना।
  2. वायुमंडलीय विभिन्न मौसमी पैरामीटरों को ध्यान में रख कर लंबवत प्रोफ़ाइल प्रदान करना।
  3. डेटा संग्रह और डेटा प्रसार क्षमताओं को डेटा संग्रह प्लेटफार्म (डीसीपी) से प्रदान करना।
  4. उपग्रह सहायक खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करना।

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INSAT-3DS Satellite की मुख्य विशेषताएं

INSAT-3DS Satellite की मुख्य विशेषताएं तो बहुत है, पर इसे हम आपको विभिन्न तरीकों से समझाएंगे इसलिए हम इसे एक सारणीबद्ध तरीके से लिख रहे हैं।

  1. मिशन: मौसमी सेवाएं, डेटा रिले और उपग्रह सहायक खोज और बचाव सेवाएं
  2. पेलोड: 6 चैनल इमेजर, 19 चैनल सौंडर, डेटा रिले ट्रांसपॉन्डर (डीआरटी), उपग्रह सहायक खोज और बचाव ट्रांसपॉन्डर (एसएएस एंड आर)
  3. पथ: भूस्थिर पथ (जियो- स्टेशनरी ऑर्बिट)
  4. संरचना: I-2k प्लेटफार्म (INSAT- 2000 किलो का प्लेटफार्म)
  5. थर्मल: 6 चैनल इमेजर, पैसिव और सक्रिय थर्मल नियंत्रण प्रणाली, गर्मिक लोड को कम करने के लिए द्विवार्षिक या यौ फ्लिप
  6. ऊर्जा उत्पादन: 42 वोल्ट सनलाइट नियमित एकल बस, 1505 वाट ऊर्जा उत्पादन (इक्विनॉक्स), आई-2k सोलर पैनल और लिथियम-आयन 100 एच बैटरी ईक्लिप्स समर्थन के लिए
  7. प्रक्षेपण यान: 4 मीटर व्यास वाले GSLV, ओजिव पेलेलोड फेयरिंग के साथ, मानक 937 मिमी व्यास।

इस प्रकार, GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन एक महत्वपूर्ण कदम है जो मौसमी सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करेगा और भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई उड़ान की शुरुआत करेगा।

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GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन के बारे में संक्षिप्त जानकारी हिंदी में | Short Information About GSLV-F14/INSAT-3DS Mission in Hindi

इस तरह, GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है जो मौसमी सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

Short Information About GSLV-F14/INSAT-3DS Mission in Hindi

समाप्ति

यह नवीनतम उपग्रह मौसमी सेवाओं के क्षेत्र में भारत के प्रगति का एक और प्रमुख चरण है। इससे भारत की मौसम और आपदा प्रबंधन क्षमता में सुधार होगी, जिससे देश की सुरक्षा और साक्षात्कार में वृद्धि होगी।

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FAQs

  1. GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन का उद्घाटन कब होगा और किस स्थान पर?

    GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन का उद्घाटन शनिवार, 17 फरवरी 2024 को, भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार 17:30 बजे को SDSC-SHAR (Satish Dhawan Space Centre), श्रीहरिकोटा से होगा।

  2. GSLV-F14 Rocket का लिफ्टऑफ भार क्या है?

    GSLV-F14 Rocket का लिफ्टऑफ भार 420 टन है।

  3. INSAT-3DS Satellite का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    INSAT-3DS Satellite का मुख्य उद्देश्य मौसमी सेवाओं को सुधारना और उसे विस्तारित करना है, जिससे भारत की मौसम और आपदा प्रबंधन क्षमता में सुधार हो।

  4. INSAT-3DS Satellite किस वर्गीकरण में आता है?

    INSAT-3DS Satellite मौसमी सेवाओं, डेटा रिले और उपग्रह सहायक खोज और बचाव सेवाओं के लिए आता है।

  5. INSAT-3DS Satellite का क्षेत्रीय या भौतिक उपयोग क्या है?

    INSAT-3DS Satellite का क्षेत्रीय और भौतिक उपयोग मौसमी सेवाओं के लिए है, जो की भारत के प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  6. GSLV-F14 Rocket के कितने चरण होते हैं और उनमें कौन-कौन से प्रोपेलेंट (इंधन) का उपयोग होता है?

    GSLV-F14 Rocket तीन चरणों से बना होता है। पहला चरण (GS1) में S139 नामक सॉलिड प्रोपेलेंट और चार पृथ्वी संचित प्रोपेलेंट स्ट्रैपॉन्स (L40) का उपयोग होता है। दूसरे चरण (GS2) में भी पृथ्वी संचित प्रोपेलेंट का उपयोग होता है। तीसरे चरण (GS3) में क्रायोजेनिक प्रोपेलेंट (तरल ऑक्सीजन और तरल हाइड्रोजन) का उपयोग होता है।

  7. INSAT-3DS Satellite की मुख्य उपयोगिता क्या है?

    INSAT-3DS Satellite की मुख्य उपयोगिता भौतिक और मौसमी पैरामीटरों की मॉनिटरिंग, डेटा संग्रह और प्रसारण, और उपग्रह सहायक खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करना है।

  8. GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन का मुख्य उद्देश्य INSAT-3DS उपग्रह को भूसंचारी स्थानांतरण पथ में डिप्लॉय करना है और मौसमी सेवाओं को सुधारना है।

  9. INSAT-3DS Satellite किस विभाग के द्वारा बनाया गया है?

    INSAT-3DS Satellite को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अलावा मंत्रालय पृथ्वी विज्ञान (MoES) के विभिन्न विभागों और संस्थाओं द्वारा बनाया गया है।

  10. INSAT-3DS Satellite की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?

    INSAT-3DS Satellite की प्रमुख विशेषताएं मौसमी सेवाएं, डेटा रिले और उपग्रह सहायक खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करने की क्षमता हैं।

  11. GSLV-F14 Rocket का प्रक्षेपण यान (Launch Vehicle) किसके लिए उपयोगी होता है?

    GSLV-F14 Rocket का प्रक्षेपण यान संचार, नेविगेशन, पृथ्वी संसाधन सर्वेक्षण, और किसी भी अन्य संपत्तिक निधि मिशन को लॉन्च करने के लिए उपयोगी होता है।

  12. INSAT-3DS Satellite का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    INSAT-3DS Satellite का मुख्य उद्देश्य मौसमी सेवाओं को बेहतर बनाना, जिसमें मौसमी विश्लेषण और आपदा प्रबंधन शामिल है।

  13. GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन का आयोजन किसके द्वारा किया गया है और कब?

    GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन का आयोजन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा किया गया है, और यह 17 फरवरी 2024 को हुआ था।

  14. INSAT-3DS Satellite किसके लिए डेटा संग्रह और प्रसारण क्षमताएं प्रदान करता है?

    INSAT-3DS Satellite डेटा संग्रह और प्रसारण क्षमताएं भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवाएं (INCOIS) और अन्य विभिन्न संस्थाओं के लिए प्रदान करता है।

  15. GSLV-F14 Rocket के पहले चरण में कितना प्रोपेलेंट लोड होता है?

    GSLV-F14 Rocket के पहले चरण में 139 टन का सॉलिड प्रोपेलेंट लोड होता है।

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